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उत्तराखंड की किताबों से भी क्लोज होगा मुगलों का चैप्टर! गरमाई सियासत…सीएम ने कहा- कर रहे आकलन

देहरादून: केंद्र सरकार ने आगामी शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए इतिहास की किताबों से मुगलों का इतिहास हटाने का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी केंद्र सरकार के निर्णय को अपने राज्य में लागू करने का फैसला लिया है। इसी क्रम में उत्तराखंड में भी केंद्र सरकार के इस निर्णय को लागू किया जा रहा है। एनसीईआरटी से मुगल इतिहास हटाने और उस बदलाव को यूपी सरकार के लागू करने के सवाल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यहां इस बदलाव का आकलन किया जा रहा है। जो भी बेस्ट प्रैक्टिस होगी, वह लागू की जाएगी। इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड में भी राजनीतिक सियासत गरमाने लगी है।

मुगलों के इतिहास को सिलेबस से हटाने के बारे में जानकारी देते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि सीएम धामी भी इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि बच्चों को वही पढ़ना चाहिए जो बच्चों के लिए प्रेरक हो। बच्चों को जो पढ़ाएंगे या सिखाएंगे, बच्चे उसी अनुरूप आचरण करते हैं। उन्होंने कहा मुगल ना तो प्रेरक हो सकते हैं और ना ही प्रेरणा श्रोत। मुगलों ने देश के लोगों पर अत्याचार किया है। हमारी संस्कृति को नष्ट करने का काम किया है। यही नहीं, देश को लूटने और खोखला करने का काम भी मुगलों ने किया है। लिहाजा, मुगलकाल का चैप्टर हटाया जा रहा है तो यह स्वागत योग्य है।

इस पूरे मामले पर कांग्रेस राजनीति करने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि किसका इतिहास गायब हुआ और किसका रखा गया ये बातें बेमानी हैं, लेकिन बात बस इतनी है कि 2014 के बाद भारत देश आजाद हुआ है। एक नए तरीके से इतिहास को लिखा जा रहा है। ऐसे में इस इतिहास में किसको महान और किसको गौण कर दिया जाएगा, ये जिसके हाथ में सत्ता है वो तय करेगी। साथ ही आज धर्म और सेना के साथ ही न्याय पालिका को लेकर भी राजनीति की जा रही है। कुल मिलाकर वर्तमान सरकार, इतिहास पुरुष बनने की चाह में ही सिलेबस में बदलाव करने जा रही है।

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