तो पहाड़ की सीट से चुनाव लड़ेंगे यशपाल दाज्यू !
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस इन दिनों दिल्ली में माथापच्ची कर रही है। विधानसभा सीट के उम्मीदवारों के चयन के लिए 2 दिन से स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकर चल रही है। जीत हार के हर फैक्टर को देखा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि एक परिवार में एक ही टिकट दिया जाएगा । ऐसे में भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के लिए भी बड़ी चुनौती है। क्योंकि यशपाल आर्य के बेटे और वह खुद टिकट के दावेदार हैं। समीकरणों के हिसाब से यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य की नैनीताल सीट पर मजबूत पकड़ है और वहां अगर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाती है तो वह चुनाव जीतते हुए नजर आ रहे हैं।
लेकिन यशपाल आर्य के लिए अब पार्टी का यह इक्वेशन की एक परिवार में एक ही टिकट दिया जाएगा चिंता बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। हालांकि यशपाल आर्य दलित राजनीति के बड़े चेहरे के तौर पर देखे जाते हैं और प्रदेश में खासा प्रभाव रखते हैं । इसलिए पार्टी उन्हें भी टिकट देगी जिससे कि पार्टी को सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं बल्कि अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी इसका फायदा मिले
यशपाल आर्य बाजपुर विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन किसान आंदोलन के बाद तराई की विधानसभा सीटों पर माहौल बदला हुआ नजर आ रहा है । बाजपुर क्षेत्र में खुद यशपाल आर्य का जमकर विरोध हो रहा है। किसान आंदोलन मैं बड़े नेता के तौर पर उभरे जगतार बाजवा की पत्नी सुनीता बाजवा टम्टा 2017 में बाजपुर से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है और इस बार किसान आंदोलन के बाद सुनीता बाजवा की स्थिति ज्यादा मजबूत बताई जा रही है। ऐसे में कांग्रेस किसी भी तरह इस सीट को गंवाना नहीं चाहती है इसलिए पार्टी चुनाव के ऐन वक्त पर यशपाल आर्य को सोमेश्वर से चुनावी मैदान में उतार सकती है। पार्टी के बड़े नेताओं कोई यशपाल आर्य को इसके लिए तैयार करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।