उत्तराखंडदेहरादून

जनता ने पार्टी बदलने वाले नेता को नकारा! हाथ का साथ छोड़ थामा था कमल; अब क्या होगा राजनीतिक भविष्य

राजेंद्र भंडारी ने उत्तराखंड की राजनीति में अपनी जो ब्रांड वैल्यू बनाई थी उस पर खुद ही बट्टा लगा दिया है। राजेंद्र भंडारी चमोली जिले के सबसे कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं, लेकिन जिस तरह से उपचुनाव में उनकी हार हुई है वह अप्रत्याशित है। अब राजेंद्र भंडारी के राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। राजेंद्र भंडारी ने छात्र राजनीति से उठकर विधानसभा की राजनीति में खास मुकाम हासिल किया। बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की राजनीति राजेंद्र भंडारी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। एक समय ऐसा था जब कांग्रेस का मतलब भंडारी और भंडारी का मतलब कांग्रेस हो गया था। 2022 के चुनाव में इसकी झलक देखने को भी मिली, जब प्रदेश में भाजपा प्रचंड बहुमत से जीती, लेकिन राजेंद्र भंडारी बदरीनाथ विधानसभा से न सिर्फ जीते बल्कि गढ़वाल लोकसभा सीट की 14 विधानसभाओं में यह एकमात्र सीट थी जिसे भाजपा हार गई थी।

तब लोगों ने भंडारी के नाम पर वोट किया। लेकिन इस बार उसी राजेंद्र भंडारी को कांग्रेस ने पटखनी दे दी और उनका तिलिस्म तोड़ दिया। अब वह आगे किस तरह की राजनीति करेंगे, उनकी क्या रणनीति होगी यह भविष्य का सवाल है। लेकिन इतना जरूर है कि उनके पार्टी बदलने से भंडारी की जो ब्रांड वैल्यू चमोली जिले में थी उसमें अब भारी गिरावट आ गई है। देश के प्रथम गांव माणा में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। यहां पर कांग्रेस को 184 मत मिले जबकि भाजपा को मात्र 44 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। माणा का परिणाम इसलिए भी खास है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश का अंतिम गांव के बजाय प्रथम गांव का टैग दिया। मोदी के नाम से माणा का नाम देश दुनिया में काफी चर्चा में रहा, लेकिन यहां पर भाजपा को इतने कम मत मिलने से साफ संदेश है कि जनता ने दल-बदल को नकार दिया है

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