उत्तराखंड

वित्त मंत्रालय ने विधायक उमेश कुमार के खिलाफ दिए कार्रवाई के निर्देश, जानिए पूरा मामला

हरिद्वार जिले की खानपुर सीट से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। भाजपा के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के उमेश पर अवैध रूप से विदेशी मुद्रा रखने के आरोपों का पीएमओ और केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने संज्ञान लिया है। खानपुर के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने 2 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री को शिकायती पत्र भेजा था। उन्होंने 2018 में प्रमुख सचिव उत्तराखंड द्वारा प्रवर्तन निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय नई दिल्ली को भेजे गए पत्र का हवाला दिया था। आरोप लगाया था कि उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य और समाचार एजेंसी के सीईओ उमेश कुमार अकूत संपत्ति के मालिक हैं। पत्र में उमेश कुमार पर कई आरोप लगाते हुए बताया गया था कि उन पर उत्तराखंड समेत कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। यह भी बताया है कि विधायक उमेश कुमार के पास अवैध विदेशी मुद्रा पाई गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

उन्होंने विधायक को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए। पीएमओ को भेजे गए साक्ष्य में यह भी बताया गया कि उमेश कुमार पर 22 अक्टूबर, 2018 में राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने उनके आवास और कार्यालय में छापेमारी कर कई संपत्तियों के कागजात के साथ ही अमेरिकन डालर और थाई करेंसी बरामद की थी। उन्होंने विधायक को मिली वाई श्रेणी की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े किए। पीएमओ को भेजे गए साक्ष्य में यह भी बताया गया कि उमेश कुमार पर 22 अक्टूबर, 2018 में राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने उनके आवास और कार्यालय में छापेमारी कर कई संपत्तियों के कागजात के साथ ही अमेरिकन डालर और थाई करेंसी बरामद की थी।

देहरादून की तत्कालीन एसएसपी की ओर से इस मामले में रिपोर्ट अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था को भेजी गई थी। तत्कालीन प्रमुख सचिव आनंद बर्द्धन की ओर से भी आयकर विभाग और ईडी को कार्यवाही के संबंध में पत्र लिखा गया था। कुंवर प्रणव के पत्र को पीएमओ ने गंभीरता से लिया। पीएमओ ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को इस संबंध में कार्यवाही के लिए कहा गया। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अनुसचिव ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। वही, मामले में उमेश कुमार ने कहा कि ईडी की ओर से 21 दिसंबर 2018 को मुझे पहला नोटिस जारी हुआ था। मामले में दो साल जांच चली लेकिन कुछ नहीं मिला। अब ऐसे में जिस मामले की जांच पहले हो चुकी है, उसकी दोबारा जांच का क्या औचित्य है। यह शिकायत के आधार पर रूटीन में जारी होने वाले आदेश हैं। बावजूद इसके मैं किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हूं।

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