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सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को कब मिलेगी नई जिंदगी? रेस्क्यू ऑपरेशन फेल हुआ तो प्लान ‘B’ भी है तैयार

उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में पिछले 14 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए रास्ता बनाने के प्रयास में जारी ड्रिलिंग शुक्रवार को एक बार फिर रोकनी पड़ी जिससे श्रमिकों का इंतजार और बढ़ गया। मलबे में बीच-बीच में लोहे का सरिया आ जाने के कारण ड्रिलिंग का काम प्रभावित हो रहा है। अधिक वाइब्रेट होने के कारण अर्थ ऑगर मशीन में भी खराबी आ जा रही है, जिसको ठीक होने में फिर 6 से 7 घंटे का समय लग जा रहा है। तमाम व्यवधानों और उम्मीदों के बीच अब इस बात पर विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से नौ मीटर मलबा हटवा दिया जाए। दूसरा विचार यह चल रहा है कि ऑगर मशीन की जगह मैनुअली कचरा हटाना शुरू किया जाए।

सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए जैसे-जैसे मुख्य सुरंग से दिक्कतें बढ़ रही थीं, वैसे ही बचाव कार्य में जुटी एजेंसियों ने दूसरे विकल्पों पर भी तेजी से काम शुरू कर दिया था। इसमें सबसे नया विकल्प मुख्य सुरंग के दाएं छोर से ही 60 मीटर की ड्रिफ्ट टनल बनाने का रखा गया। जानकारी के मुताबिक, अगर मौजूदा ऑपरेशन फेल होता है तो भारतीय सेना इस ऑपरेशन की कमान संभालेगी। इस समय 201 इंजीनियरिंग रेजीमेंट की टीम टनल साइट पर मौजूद है। भारतीय सेना की यह टुकड़ी अपने साजो सामान के साथ टनल के दाएं हिस्से में मिनी टनल बनाकर अंदर घुसने की कोशिश करेगी। साइड ड्रिफ्ट की तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इंजीनियरिंग रेजीमेंट 1.22*1.5 मीटर स्टील के बॉक्स एक के बाद एक लगाते हुए 60 मीटर की दूरी तय करेगी।

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