उत्तराखंडदेहरादून

उत्तराखंड में UCC लागू होने से क्या-क्‍या होगा बदलाव? विवाह, तलाक और लिव इन को लेकर बदलेंगे नियम

उत्तराखंड में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू होने जा रहा है। इसको लेकर धामी सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। विशेषज्ञ टीम ने अपना ड्राफ्ट सरकार को सौंप दिया है। अब सबको इस बात को लेकर सबसे ज्यादा जिज्ञासा है कि यूसीसी लागू हुआ तो क्या बदल जाएगा। करीब 20 माह तक सभी धर्मोंं, जाति और समुदायों के सुझाव, सवा दो लाख लोगों से बातचीत, संवाद और सियासी दलों की राय लेने के बाद जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में बनाई गई ड्राफ्ट कमेटी ने अपना मसौदा सरकार को सौंप दिया है। अब पहले कैबिनेट इसे पास करेगी। इसके बाद सदन में विधेयक लाया जाएगा। जिसके बाद पास कर राज्यपाल को मुहर के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद यूसीसी का कानून लागू हो जाएगा।

माना जा रहा है कि यूसीसी लागू होने के बाद सबसे ज्यादा असर शादी, तलाक और बच्चों के पालन पोषण के लिए बनाए गए नियमों पर पड़ेगा। समिति ने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में तैयार किया है। समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट मिलने के बाद अब इसे कानूनी रूप देने की प्रक्रिया पर भी सरकार आगे कदम बढ़ा रही है। यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड में कई कानून बदल जाएंगे। इसमें विवाह, तलाक से लेकर संपत्ति और जरूरी नियमों में काफी परिवर्तन देखने को मिलेंगे। साथ ही ये भी माना जा रहा है कि यूसीसी लागू होने से लिव इन रिलेशनसिप के मामलों में भी असर पड़ेगा। अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकेगा।

मसौदे में क्या है संस्तुतियां

  • सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य हो जाएगी।
  • लव जिहाद, विवाह, महिलाओं और उत्तराधिकार के अधिकारों के लिए सभी धर्मों के लिए समान अधिकार।
  • लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
  • बहुपत्नी प्रथा समाप्त कर एक पति पत्नी का नियम सभी पर लागू करने पर समिति ने बल दिया।
  • संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान अधिकार सभी धर्मों में लागू रहेगा।
  • अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
  • तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
  • तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा।
  • गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
  • प्रदेश की जनजातियां इस कानून से बाहर होंगी।

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