किन्नरों की मनमानी के दिन गए, हरिद्वार के इस गांव में पंचायत ने फिक्स किए बधाई रेट
किन्नर भले ही हमारे समाज में रहते हैं लेकिन आज भी इनको देखने का अलग ही नजरिया है। किन्नरों से कोई उलझना नहीं चाहता है, माना जाता है इनकी दुआ और बद्दुआ दोनों ही लग सकती हैं। कोई इसे उलझता नहीं तो ये तो लोग कई बार बहुत बदतमीजी कर जाते हैं। किसी भी खुशी के मौके पर ये अपनी टोली के साथ पहुंच जाते हैं, और मुंह मांगे पैसे लेते है। कई जगह पर इनकी ये जबरदस्ती लोगों को पसंद नहीं आती है। ऐसा ही एक मामला हरिद्वार के एक गांव से आया है, जहां पर किन्नरों से परेशान लोगों ने पंचायत बुलाकर उनके बधाई रेट को फिक्स कर दिया है। किन्नरों का घर में आकर नाच गाना करना अब ज्यादातर गांव तक ही सीमित रह गया है। शहरों में इस तरह के मामले कम ही सामने आते हैं। गांव में लोग इनको खुशी खुशी बुलाकर दुआएं भी लेते हैं। लेकिन अब इनकी बढ़ती मांगो से लोग परेशान होने लगे हैं।
रुड़की के एक गांव में शनिवार को खुली पंचायत का आयोजन हुआ। इस पंचायत में किन्नरों के लिए बधाई की रकम 1100 से लेकर 3100 रुपये तक की गई है। ये फैसला उनकी बढ़ती मांगो को ध्यान में रखकर लिया गया है। गांव वालों का कहना था कि पैसे ना मिलने पर ये गंदी हरकतें करते हैं। इस फैसले के बाद गांव के बाहर इस पंचायत के फैसले का एक बोर्ड भी लगा दिया गया है। इसके अलावा गोवंश की बिक्री-खरीद पर कड़े कानून बनाए गए हैं। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास मिला तो अयोध्या में दुखी थे, सभी ने उन्हें रोकने की कोशिश की। लेकिन जब भगवान राम ने अपने पिता को दिया वचन पूरा करने के बाद अयोध्या छोड़ने का फैसला किया, तो पूरी अयोध्या की जनता भगवान राम, सीता माता और भाई लक्ष्मण को छोड़ने आई। इनमें किन्नर समुदाय भी शामिल था।