उत्तराखंड में प्रवेश करते ही देना होगा ग्रीन एंट्री सेस, धामी सरकार ने लिया अहम फैसला
अब उत्तराखंड में प्रवेश करते ही दूसरे राज्यों से आने वाले डीजल वाहनों को फास्टैग के जरिये से ग्रीन एंट्री सेस देना होगा। धामी सरकार इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के साथ अनुबंध करने जा रही है। राज्य की राजधानी देहरादून सहित पूरे उत्तराखंड में स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति लागू करने के लिए शुक्रवार को शासनादेश जारी कर दिया गया। संबंध में देहरादून में सबसे पहले डीजल सार्वजनिक यात्री वाहनों को हटाकर सीएनजी-इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए अनुदान मिलेगा। शीघ्र ही पूरे प्रदेश में यह प्रक्रिया शुरू होगी। कैबिनेट ने स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति को स्वीकृति देकर सार्वजनिक डीजल यात्री वाहनों के बदले सीएनजी-इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए प्रोत्साहन अनुदान राशि देने का निर्णय लिया। इसमें प्रोत्साहन योजना के सभी बिंदुओं को साफ़ किया गया। बताया गया कि स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति को परिवहन विभाग की तरफ से वित्त पोषित किया जाएगा।
यह भी तय है कि अनुदान का भार सरकार पर नहीं पड़ेगा। इसके लिए शासन की तरफ से ‘उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी ट्रांजेशन फंड’ बनाया जा रहा है। इसमें विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली राशि फंड के रूप में जमा की जाएगी। इस फंड का इस्तेमाल अनुदान राशि वितरित करने में होगा। परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने जानकारी दी कि उत्तराखंड में पहले ही वाहनों के पंजीकरण के समय ग्रीन सेस लिया जाता है। अब बाहर से आने वाले डीजल वाहनों से फास्टैग के जरिये से ग्रीन एंट्री सेस वसूल किया जाएगा। ग्रीन सेस और ग्रीन एंट्री सेस से अनुदान राशि का डिस्ट्रिब्यूशन करने की योजना है। प्रोत्साहन राशि में जितनी धनराशि कम पड़ेगी, वह उत्तरखंड सरकार उपलब्ध कराएगी।