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Phool Dei 2023: फूलदेई संक्रांति आज, देवभूमि में महक रहीं घरों की दहलीज, सीएम धामी ने दी बधाई

Uttarakhand Phool Dei 2023: फूलदेई पर्व की उत्तराखंड में विशेष मान्यता है। फूलदेई चैत्र संक्रांति के दिन मनाया जाता है क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास ही हिंदू नववर्ष का पहला महीना होता है। इस त्योहार को खासतौर से बच्चे मनाते हैं और घर की देहरी पर बैठकर लोकगीत गाने के साथ ही घर-घर जाकर फूल बरसाते हैं। आज से देवभूमि उत्तराखंड में फूलदेई पर्व की शुरुवात हो गई है। यह त्योहार बिना फ्योंली के फूल के अधूरा माना जाता है। फूलदेई पर्व में फ्योंली अहम स्थान रखता है। इनदिनों पहाड़ों में फ्योंली की भरमार देखी जा रही है। हर ओर पीले फूल नजर आ रहे हैं। जो बरबस ही सभी को आकर्षित कर रहा है।

सुख और समृद्धि का प्रतीक फूलदेई त्योहार उत्तराखंड की गढ़ कुमाऊं संस्कृति की पहचान है। ऐसे में सभी को वसंत और इस त्योहार का इंतजार रहता है। खासकर छोटे बच्चों में फूलदेई को लेकर उत्सुकता बढ़ती जाती है। घर-घर में फूलों की बारिश होती रहे। हर घर सुख-समृद्धि से भरपूर हो। इसी भावना के साथ बच्चे अपने गांव के साथ आस-पास के गांव में जाकर घरों की दहलीज पर फूल गिराते हैं और उस घर के लिए मंगलमय कामना करते हैं। बच्चे फ्योंली, बुरांश के फूलों को चुनकर फूलदेई मानते हैं। जहां घर की मालकिन इन बच्चों को चावल, गुड़ के साथ दक्षिणा के रूप में रुपए भी देंगे। पहाड़ की बाल पर्व की परंपरा जो मानव और प्रकृति के बीच के पारस्परिक संबंधों का प्रतीक है तो फ्योंली का फूल समृद्धि और खुशहाली का।

वक्त के साथ तरीके बदले हैं, लेकिन उत्तराखंड में परंपराएं अब भी जिंदा है। जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह त्योहार मन को हर्षोल्लास से भर देता है. इस त्योहार में प्रफुल्लित मन से बच्चे हिस्सा लेते हैं और बड़ों को भी अत्यधिक संतोष मिलता है। यह त्योहार लोकगीतों, मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ने का भी एक अच्छा अवसर प्रदान करता है और संस्कृति से जुड़े रहने की प्रेरणा भी देता है। मुख्यमंत्री धामी ने देवभूमि उत्तराखण्ड के लोकपर्व फूलदेई की समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी। कहा कि फूलदेई का पर्व हमारे बच्चों एवं युवा पीढ़ी को प्रकृति से प्रेम करने व उसके संरक्षण के प्रति ज़िम्मेदारी का बोध कराता है।

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