गजब का जज्बा: बुजुर्ग दंपति ने बंजर जमीन पर उगाईं कीमती जड़ी-बूटियां, होती है लाखों की कमाई
Herbal Farming in Chamoli: उत्तराखंड जैव विविधता से समृद्ध स्थान है, और वहां बहुत सारी विभिन्न जड़ी-बूटियां पाई जा सकती हैं। इन जड़ी-बूटियों में से कुछ का उपयोग बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, और अब ये खेतों में भी उग रही हैं! इसका लोगों को भरपूर लाभ मिल रहा है। उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के सुदूरवर्ती वाण गांव के किसान दंपति पान सिंह बिष्ट और बचुली देवी युवाओं के लिए स्वरोजगार की राह तराश रहे हैं। इस दंपति ने बंजर जमीन में जड़ी बूटियां उगाकर युवाओं को एक बार फिर स्वरोजगार का एक और रास्ता दिखाया है। दंपति हर्बल खेती से साल भर में साढ़े तीन लाख रुपये से अधिक की कमाई कर रहे हैं।
पान सिंह बताते हैं कि 2010 में उन्हें जड़ी बूटी संस्थान से कुटकी, जटामासी, गदरायण और कूट के बीज मुफ्त दिए गए थे और उन्हें पहली फसल तीन साल बाद प्राप्त हुई थी। तब से वह लगातार जड़ी बूटी का उत्पादन कर उसे भेषज संघ और जड़ी बूटी शोध संस्थान मंडल के माध्यम से मंडी में बेच रहे हैं। इस बार उनकी लगभग साढ़े तीन क्विंटल पैदावार हुई है और मुनाफे को देखते हुए वे हर्बल खेती के विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। देवाल के बीडीओ पन्ना लाल कहते हैं कि बचुली देवी और पान सिंह का हुनर काबिल-ए-तारीफ है। कठिन हालात में अपने पसीने से बंजर जमीन को सींचने की उन्होंने जो कोशिश की है, उससे सभी को सीख लेनी चाहिए। साथ ही जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर विजय भट्ट कहते हैं कि बाजार में हर्बल उत्पादों की डिमांड है और हर्बल खेती में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। साथ ही केंद्र ने भी इसे बढ़ावा देने के लिए चार हजार करोड़ के बाजार की घोषणा की है, जिससे युवा हर्बल खेती से अपनी आजीविका मजबूत कर सकें।