उत्तराखंडदेहरादून

केदारनाथ यात्रा से पहले बढ़ीं मुश्किलें, घोड़ा-खच्चरों में हुआ संक्रमण, आवागमन पर पूरी तरह से रोक

विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम की यात्रा तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर शीतकाल में हुए हिमपात के दौरान पड़े बड़े-बड़े ग्लेशियरों को काटकर रास्ता तैयार किया जा रहा है। लगभग 70 मजदूर इन ग्लेशियरों को काटने में लगे हुये हैं। प्रशासन अपनी तैयारी में जुटा हुआ है लेकिन इस बीच यात्रा की रीड की हड्डी कहे जाने वाले घोड़ा-खच्चरों में गंभीर श्वसन रोग इक्वाइन इन्फ्लूएंजा की बीमारी फैल गई है। जिससे केदारनाथ यात्रा के लिए घोड़ा-खच्चरों के पंजीकरण शिविर अगले दस दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। साथ ही पूरे जिले में घोड़ा-खच्चरों के आवागमन पर पूरी तरह से से प्रतिबंध लगा दिया गया है। ग्रामीणों की सूचना पर गांव पहुंची डॉक्टरों की टीम ने घोड़ा-खच्चरों के सैंपल लेकर जांच के लिए हिसार भेज दिए हैं।

जानवर तेज बुखार से पीड़ित हैं और उनके नाक से लगातार पानी आ रहा है। खांसी के साथ ही उनके पूरे शरीर पर जगह-जगह दाने निकल आए हैं। बसुकेदार उप तहसील के बीरों, बष्टी, जलई और मद्महेश्वर घाटी के मनसूना में घोड़ा-खच्चर हॉर्स फ्लू (इक्वाइन इन्फ्लूएंजा) से संक्रमित हो गए हैं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. आशीष रावत ने बताया कि घोड़ा-खच्चरों में हॉर्स फ्लू सांस के जरिये तेजी से फैलता है। इसलिए पूरे जिले में घोड़ा-खच्चरों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। अगर, कोई पशुपालक नियम का उल्लंघन करते पकड़ा गया तो उसके विरुद्ध पशुओं में संक्रामक और संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 2009 (एक्स-27 ऑफ 2009) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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